Gunjan Kamal

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जीवित है मां

पारिजात अस्पताल  के आईसीयू में करीब रात के लगभग १२:००  बज रहे थे। मुख्य डॉक्टर रंजीत अपनी विजिट करके जा चुके थे। रात होने की वजह से मरीजों से मिलने का विजिटिंग टाइम जो कि शाम के ८:०० तक का ही होता है वह भी निकल चुका था इसलिए अधिकांश मरीज खाना खाने के बाद अकेले ही सो रहें थे और जो कुछ बचें थें वें भी सोने की तैयारी कर रहे थे।


अस्पताल साफ - सुथरा था। सेनेटाइजर की सुगंध चारों तरफ फ़ैली हुई थी। हर बेड  के पीछे अलमारी पर दवा की ट्रे रखी हुई थी। लगभग हर मरीज़ के पास सलाईन लगे स्टैंड भी लगें थे। उस वक्त  लगभग सारी लाइट्स बन्द हो चुकी थी। जैसा कि होता है पूरे आईसीयू वार्ड में ख़ामोशी छाई हुई थी। आईसीसीयू में ड्यूटी पर तैनात  हेड नर्स ने ऋतिक की माँ नीलिमा  की नाजुक परिस्थिति देखते हुए नर्ने ऋतिक और उसके पिता को एक साथ ही नीलिमा  के पास  उस वक़्त भी जाने की विशेष अनुमति दे दी थी बल्कि औरों को मिलने की मनाही थी।


वेंटिलेटर पर पड़ी नीलिमा की  तबियत देखते हुए ऋतिक के पिता ने  ऋतिक  के कंधे पर हाथ रखकर कहा  "बेटा! पिछले चार  दिन से तेरी माँ वेंटिलेटर पर है।  कोई सुधार भी नहीं दिख रहा है ऊपर से यहां रखने का रोज का २५ हज़ार रुपये का बिल लग रहा है। अभी तक एक लाख से ऊपर लग चुके है। अब तो हम अपनी  सारी प्रोपर्टी बेच भी दें तब भी अस्पताल का  बिल नही चुका पाएंगे। कल से तो डॉक्टर भी यही सलाह दे रहें हैं कि वेंटिलेटर हटा दे, वह जी चुकी है जितनी जिंदगी जितना उन्हें जीना चाहिए था वैसे भी उसे कुछ न पता चलेगा कि वेंटिलेटर हट गया हैं या नहीं क्योंकि एक तरह से वह दवा और  मेडिकल रिसोर्सेज की वजह से ही हमें जीवित दिख रही है जैसे ही वेंटिलेटर हट जाएगा एक -  दो मिनट में सबकुछ खत्म हो जाएगा।


   अपने पिता की बात सुनकर ऋतिक  फफक - फफककर रो पड़ा और कहने लगा  "आप यह सब एक बेटे से कैसे कह सकते है। बचपन में जब मुझे मलेरिया हुआ था तब आप तो उस वक्त यहां पर हमारे साथ भी नहीं थे  ऐसे में  माँ  ही मुझे गोद में लिए  पैदल चलकर अस्पताल में मेरा इलाज  कराने ले गई थी। इलाज को पैसे न थे तो शादी में मिली अपनी चूड़ियां तक बेचकर उसने मेरा इलाज कराया था। मैं उस वक्त  ही मर जाता तो कहाँ से यह सब कमा पाता। मैं कितना भी कमा लूं लेकिन मेरे लिए मेरी सबसे बड़ी कमाई तो मेरी माँ ही है। माना कि वह मशीन से श्वास लें रही है मग़र वह अभी तक  मरी  नहीं है। मैं सबकुछ बेचकर भी उसका इलाज करवाऊंगा। मैं भी अभी जीवित हूॅं और वह भी। मैं यूँ माँ को मरने नहीं दूंगा। उम्र पड़ी है उसकी। पैसे मैं कमा लूंगा, वह आ भी जाएगी लेकिन मां को एक बार जाने के बाद  वापस नहीं ला पाऊंगा।


ऋतिक भावुक होकर रोने लगा था तभी उन दोनों के बात करने की वजह से आईसीयू के सतत सन्नाटे में व्यवधान  पड़ता देखकर हेड नर्स  ने इशारे से ऋतिक  और उसके पिता को आईसीयू वार्ड से बाहर जाने का संकेत दिया।ऋतिक के पिता और ऋतिक एक आज्ञाकारी छात्र  की भांति उस इशारे को समझते हुये बिना कुछ कहे उस आईसीयू से बाहर चले गए। रोते -  बिखलते हुए ऋतिक को देखकर उसके  पिता को शायद अपनी गलती का अहसास हो चुका था।  इसलिए वह उसे संयत करने का प्रयास कर रहें थे।  तभी नर्स ने दौड़कर डयूटी डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने  नीलिमा की  छाती पर मशीन का दबाव बनाना शुरू किया और सभी नीलिमा को बचाने का अंतिम प्रयास कर रहा थे।  कार्डियक मोनिटर पर गिरती पल्स रेट्स ने स्पष्ट  रूप से  नीलिमा को मृत घोषित कर दिया था और कार्डियक माॅनिटर पर सीधी रेखा नीलिमा के निधन की औपचारिक  पुष्टि कर रही थी। 


डॉक्टर ने ऋतिक  के पिता को सॉरी कहते हुए पूछा कि वेंटिलेटर हटाने को नर्स को अपने कहा था? ऋतिक ने पिता ने चकित होकर हेड नर्स की तरफ़ देखा और हेड नर्स ने डॉक्टर की तरफ़। 


किसी साजिश के अंदेशे को भांपकर डॉक्टर ने तुरंत ही हेड नर्स से सीसीटीवी रिकॉर्डिंग देखने को कहा। लगभग आधे घण्टे पूर्व की उस रिकॉर्डिंग को खोजने में  उन्हें ज्यादा वक्त न लगा। उसमें साफ़ दिख रहा था कि ऋतिक  और उसके पिता के आईसीयू से जाने के बाद नीलिमा  ने पुरजोर कोशिश करके,  अपना एक हाथ जो पट्टी के सहारे पलंग से बंधा था, उसे झटका देकर छुड़ा लिया और ख़ुद ही उसने अपने मुँह पर लगें वेंटिलेटर मास्क को खींचकर निकाल लिया था।  एक - दो मिनट के बाद ही  नीलिमा  का शरीर वही बिस्तर पर निढ़ाल हो गया। ऋतिक के पिता ऑंखों में ऑंसू लिए यही सोच रहें थे कि उनके बेटे ऋतिक  ने सच ही कहा था उसकी माँ को सांस लेने में तकलीफ़ जरूर थी लेकिन वह उस वक्त भी जीवित थी और  सबकुछ सुन रही थी जब उसके पिता उसे मारने की बात कर रहें थे और वह भी अपने बेटे के बेहतर भविष्य के लिए। एक माॅं खुद मर सकती है लेकिन अपने बेटे का भविष्य उसकी वजह से अंधकारमय हो वह बर्दाश्त नहीं कर सकती। 


                                                            धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻


गुॅंजन कमल 💓💞💗


# डाॅक्टर विशेषांक 


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7 Comments

Milind salve

10-Jul-2022 07:39 PM

👏👌🙏🏻

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Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 08:46 PM

Nice 👍

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Niharika

08-Jul-2022 12:35 PM

Beautiful story ☺️

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